Strange Kamare ki Bhoot ki Kahani - Bhoot Ki Kahani

    Social Items

Bhoot Ki Kahani

premium blogger template from HIVEcorp

Strange Kamare ki Bhoot ki Kahani

Strange-Kamare-ki-Bhoot-ki-Kahani

Strange Kamare ki Bhoot ki Kahani. This ghost story is in Hindi. Friends, when I went to my maternal grandfather's house. So there I saw something like this. Some such incident happened with me which I am sharing with you in this post today. And I hope you enjoy this story in its entirety.

Kamare ki Bhoot ki Kahani

जब मैं 15 साल का था। तब मैं छुट्टियों में गांव में अपने नाना के पास रहने गया था। और उनके गांव में एक बहुत बड़ी हवेली थी। हवेली में बहुत सारे कमरे थे। हवेली काफी पुरानी थी। सभी बच्चे वहां पर लुक्का छुपी खेला करते थे। उस मकान में ऐसी बहुत सी जगह है। और कमरे हैं तो जीतने के लिए बहुत ही अच्छी जगह थी। मकान मुझे अच्छा लगता था।

रात को मुझे उस मकान में अच्छे से नींद नहीं आती थी। रात भर मैं करवटें बदलता रहता था। मकान में से बड़ी अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती थी। वह मकान सन्नाटा में बहुत ही डरावनी लगती थी। हमेशा सोचता रहता की आखिरी आवाज आती कहां से है।

अपने नाना को इस बारे में पूछना चाहा लेकिन नाना नहीं बोले। मेरी बात को हंसी में टाल देते पता नहीं मुझे ऐसा क्यों लग रहा था। कि कुछ तो बात है। जो नाना मुझसे छुपा रहे हैं। फिर मैंने उस बात की छानबीन करने की ठान ली। मकान की तीसरी मंज़िल पर एक कमरा था वह कमरा बंद रहता था।

उस कमरे में मैंने किसी को भी आते जाते हुए नहीं देखा था, शिवाय मेरे नाना के। मुझे पूरा यकीन था कि हो ना हो आवाज उसी कमरे में से आती है। मेरा कौतूहल अब अपनी चरम सीमा तक पहुंच चुका था। जब मैं अपने कमरे में सोने की कोशिश कर रहा था तो एक दर्दनाक आवाज मेरे कानों में सुनाई दी।

मकान में जैसे एकदम भगदड़ सी मच गई थी। अपने कमरे में से बाहर आया कमरे के बाहर बहुत ही घना अंधेरा था। फिर मैंने नाना को हाथ में लालटेन ले तीसरी मंजिल के उसी कमरे की तरफ बढ़ते हुए देखा। धीमी चाल में मैं भी नाना की पीछे-पीछे चलने लगा। कमरे के पास पहुंचते ही नाना ने अपनी जेब में से चाबी का गुच्छा निकाला कमरे का ताला खोलने लगे।

डरावनी आवाज आने लगी

अंदर से आवाज बढ़ती जा रही थी ताला खोलकर नाना कमरे के अंदर चले गए। नाना हमेशा अपने पीछे दरवाजा बंद किया करते थे। आज यह बात भूल गए दबे पांव मैं उस दरवाजे तक पहुंचा। दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था मैं उसमें से अंदर झांक कर देखने लगा।

लालटेन की रोशनी में मैंने अंदर जो भी नजारा देखा वह बहुत ही डरावना था। कमरे में किसी बुढ़िया औरत को जंजीरों में जकड़ कर रखा हुआ था। वह चीखें और भयानक आवाजें उसी औरत के थे। उस औरत के बाल सफेद हो चुके थे। और पूरा चेहरा झुर्रियों से भरा हुआ था।

लेकिन उस औरत की सबसे डरावनी बात अगर कुछ थी। तो वः थी उसकी आँखें बाप रे बाप मैंने अपनी पूरी जिंदगी में नहीं देखी थी। उसकी आँखे बड़ी-बड़ी और पूरी तरह से लाल थी। अपने आप गोल-गोल घूम रहे थे। कभी उसकी आँखें एक ही जगह पर सहन कर देख ने लगती।

अपने हाथ पैर मारने लगती। कभी शांत हो जाती और उनकी होठों पर एक मुस्कान आ जाती। मुस्कुराहट खुशी के नहीं थे मुस्कुराहट में छलावा भरा हुआ था। वः सब देख मेरे हाथ पांव ही ठंडे पढ़ने लगे। फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी मैंने उम्मीद ही नहीं की थी। वो घूमने लगी उसकी मुस्कुराहट उनके होठों पर आई जैसे मनो वह मुझसे ही बात कर रही थी। नाना ने झटके से दरवाज़े को खोला और मैं पकड़ा गया।

नाना को मैने इतना गुस्से में पहले कभी ना देखा था। बहुत हुआ जिस बात को दफ़न रखना चाहता था। आखिरकार मैंने वह देख ली थी लेकिन सच मानिए तो। अब मैं अपने आपको ही कोस रहा था। मुझे यहाँ नहीं आना चाहिए था। मेरा गला डर के मारे सूख चुका था। नाना ने लालटेन मेरे हाथों में दी। नाना उस बूढ़ी औरत के नज़दीक गया और उसने उसे एक बड़ा सा इंजेक्शन लगाया।

मेरी तो खटिया खड़ी थी

अभी भी मुझे ही देख रही थी मैं झटपट उस कमरे से बाहर आया। नाना ने मुझे बताया कि उन्हें एक अजीब सी बीमारी थी। अपने इर्द-गिर्द बहुत सी परछाइयाँ देखा करती थी। उनका कहना था कि वो परछाइयां उन्हें डराती है। उन्हें मारना चाहती है डॉक्टर का मानना था। कि उन्हें स्कीजोफ्रेनिया है। अस्पताल में उन पर बहुत इलाज किया गया कोई फायदा नहीं हुआ।

कभी-कभी वह बहुत ज्यादा ही स्टिक हुआ करती थी। इसीलिए उन्हें जंजीरों में जकड़ कर रखा था। पूरी कहानी मुझे बताए लेकिन फिर भी मेरा डर कम ना हुआ। मैं अपने घर वापस जाना चाहता था। नाना ने मुझे यकीन दिलाया कि वह सुबह ही मुझे शहर छोड़ आएगा। मैं उस घर में वापस कभी भी नहीं आना चाहता। कुछ दिनों बाद तक भी में उस बूढ़ी औरत को सपने में देखता था

और ठीक से सो नहीं पाता। मुझे उनकी बहुत याद आ रही थी। 2:00 बजे होंगे अचानक मेरे कानों में किसी की फुसफुसा ने की आवाज़ आने लगी मेरा पूरा बिस्तर पसीने से भींग चुका था। बेडरूम के दरवाज़े की तरफ देखा दरवाज़ा अपने आप खुल रहा था। उसमें से एक भयानक की परछाईं मेरी तरफ बढ़ रही थी। वहां पर और कोई भी नहीं था परछाईं मुझे अपने पास बुला रही थी। और एकाएक मेरी नींद खुली तो मैंने देखा की ये तो सपना था।

Strange Kamare ki Bhoot ki Kahani

Strange Kamare ki Bhoot ki Kahani

Strange-Kamare-ki-Bhoot-ki-Kahani

Strange Kamare ki Bhoot ki Kahani. This ghost story is in Hindi. Friends, when I went to my maternal grandfather's house. So there I saw something like this. Some such incident happened with me which I am sharing with you in this post today. And I hope you enjoy this story in its entirety.

Kamare ki Bhoot ki Kahani

जब मैं 15 साल का था। तब मैं छुट्टियों में गांव में अपने नाना के पास रहने गया था। और उनके गांव में एक बहुत बड़ी हवेली थी। हवेली में बहुत सारे कमरे थे। हवेली काफी पुरानी थी। सभी बच्चे वहां पर लुक्का छुपी खेला करते थे। उस मकान में ऐसी बहुत सी जगह है। और कमरे हैं तो जीतने के लिए बहुत ही अच्छी जगह थी। मकान मुझे अच्छा लगता था।

रात को मुझे उस मकान में अच्छे से नींद नहीं आती थी। रात भर मैं करवटें बदलता रहता था। मकान में से बड़ी अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती थी। वह मकान सन्नाटा में बहुत ही डरावनी लगती थी। हमेशा सोचता रहता की आखिरी आवाज आती कहां से है।

अपने नाना को इस बारे में पूछना चाहा लेकिन नाना नहीं बोले। मेरी बात को हंसी में टाल देते पता नहीं मुझे ऐसा क्यों लग रहा था। कि कुछ तो बात है। जो नाना मुझसे छुपा रहे हैं। फिर मैंने उस बात की छानबीन करने की ठान ली। मकान की तीसरी मंज़िल पर एक कमरा था वह कमरा बंद रहता था।

उस कमरे में मैंने किसी को भी आते जाते हुए नहीं देखा था, शिवाय मेरे नाना के। मुझे पूरा यकीन था कि हो ना हो आवाज उसी कमरे में से आती है। मेरा कौतूहल अब अपनी चरम सीमा तक पहुंच चुका था। जब मैं अपने कमरे में सोने की कोशिश कर रहा था तो एक दर्दनाक आवाज मेरे कानों में सुनाई दी।

मकान में जैसे एकदम भगदड़ सी मच गई थी। अपने कमरे में से बाहर आया कमरे के बाहर बहुत ही घना अंधेरा था। फिर मैंने नाना को हाथ में लालटेन ले तीसरी मंजिल के उसी कमरे की तरफ बढ़ते हुए देखा। धीमी चाल में मैं भी नाना की पीछे-पीछे चलने लगा। कमरे के पास पहुंचते ही नाना ने अपनी जेब में से चाबी का गुच्छा निकाला कमरे का ताला खोलने लगे।

डरावनी आवाज आने लगी

अंदर से आवाज बढ़ती जा रही थी ताला खोलकर नाना कमरे के अंदर चले गए। नाना हमेशा अपने पीछे दरवाजा बंद किया करते थे। आज यह बात भूल गए दबे पांव मैं उस दरवाजे तक पहुंचा। दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था मैं उसमें से अंदर झांक कर देखने लगा।

लालटेन की रोशनी में मैंने अंदर जो भी नजारा देखा वह बहुत ही डरावना था। कमरे में किसी बुढ़िया औरत को जंजीरों में जकड़ कर रखा हुआ था। वह चीखें और भयानक आवाजें उसी औरत के थे। उस औरत के बाल सफेद हो चुके थे। और पूरा चेहरा झुर्रियों से भरा हुआ था।

लेकिन उस औरत की सबसे डरावनी बात अगर कुछ थी। तो वः थी उसकी आँखें बाप रे बाप मैंने अपनी पूरी जिंदगी में नहीं देखी थी। उसकी आँखे बड़ी-बड़ी और पूरी तरह से लाल थी। अपने आप गोल-गोल घूम रहे थे। कभी उसकी आँखें एक ही जगह पर सहन कर देख ने लगती।

अपने हाथ पैर मारने लगती। कभी शांत हो जाती और उनकी होठों पर एक मुस्कान आ जाती। मुस्कुराहट खुशी के नहीं थे मुस्कुराहट में छलावा भरा हुआ था। वः सब देख मेरे हाथ पांव ही ठंडे पढ़ने लगे। फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी मैंने उम्मीद ही नहीं की थी। वो घूमने लगी उसकी मुस्कुराहट उनके होठों पर आई जैसे मनो वह मुझसे ही बात कर रही थी। नाना ने झटके से दरवाज़े को खोला और मैं पकड़ा गया।

नाना को मैने इतना गुस्से में पहले कभी ना देखा था। बहुत हुआ जिस बात को दफ़न रखना चाहता था। आखिरकार मैंने वह देख ली थी लेकिन सच मानिए तो। अब मैं अपने आपको ही कोस रहा था। मुझे यहाँ नहीं आना चाहिए था। मेरा गला डर के मारे सूख चुका था। नाना ने लालटेन मेरे हाथों में दी। नाना उस बूढ़ी औरत के नज़दीक गया और उसने उसे एक बड़ा सा इंजेक्शन लगाया।

मेरी तो खटिया खड़ी थी

अभी भी मुझे ही देख रही थी मैं झटपट उस कमरे से बाहर आया। नाना ने मुझे बताया कि उन्हें एक अजीब सी बीमारी थी। अपने इर्द-गिर्द बहुत सी परछाइयाँ देखा करती थी। उनका कहना था कि वो परछाइयां उन्हें डराती है। उन्हें मारना चाहती है डॉक्टर का मानना था। कि उन्हें स्कीजोफ्रेनिया है। अस्पताल में उन पर बहुत इलाज किया गया कोई फायदा नहीं हुआ।

कभी-कभी वह बहुत ज्यादा ही स्टिक हुआ करती थी। इसीलिए उन्हें जंजीरों में जकड़ कर रखा था। पूरी कहानी मुझे बताए लेकिन फिर भी मेरा डर कम ना हुआ। मैं अपने घर वापस जाना चाहता था। नाना ने मुझे यकीन दिलाया कि वह सुबह ही मुझे शहर छोड़ आएगा। मैं उस घर में वापस कभी भी नहीं आना चाहता। कुछ दिनों बाद तक भी में उस बूढ़ी औरत को सपने में देखता था

और ठीक से सो नहीं पाता। मुझे उनकी बहुत याद आ रही थी। 2:00 बजे होंगे अचानक मेरे कानों में किसी की फुसफुसा ने की आवाज़ आने लगी मेरा पूरा बिस्तर पसीने से भींग चुका था। बेडरूम के दरवाज़े की तरफ देखा दरवाज़ा अपने आप खुल रहा था। उसमें से एक भयानक की परछाईं मेरी तरफ बढ़ रही थी। वहां पर और कोई भी नहीं था परछाईं मुझे अपने पास बुला रही थी। और एकाएक मेरी नींद खुली तो मैंने देखा की ये तो सपना था।
Load Comments

Subscribe Our Newsletter

Notifications

Disqus Logo