Bhoot ki Kahani
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रेशमा बेटा…..
ये नहीं सुधरेगा।
जी बाबू जी।
आओ बहु तुम्हें बहुत जरूरी बात बतानी है।
हाँ हाँ बोलिए।
इस नालायक को सुधारते-सुधारते मैं बूढ़ा हो गया। लेकिन यह मुझसे सुधर नहीं पाया।मुझे तो लगता है। कि उसे किसी आलसी भूत ने अपने वश में कर लिया है। बेटी उस आलसी भूत को भगाने की ज़िम्मेदारी मैं तुम पर सोंपता हूं। और बस यही भूपेंद्र की आखिरी इच्छा थी।
तब से रेशमा अपने पति रमेश को सुधारने में जुट गई। उसने सोचा कि अगर वह अपने पति की खेतों में मदद करें।
तो शायद रमेश को भी मेहनत करने की इच्छा हो। तो वह अपने पति के साथ खेतों में मजदूरी करने निकल पड़ी।
Khani Bhoot Ki
वह दोनों साथ में शुरू करते लेकिन जल्द ही रमेश में आलस भर जाता। और वह पेड़ के नीचे सो जाया करता था। और बेचारी रेशमा अकेली मेहनत करती रहती। रेशमा सोचने लगी कुछ और सोचना होगा।
तो गांव में घोषणा हुई। सरकार मुफ्त में बीज देने वाली है। कल सुबह 9:00 बजे सरकारी ठेके में आना मुफ्त में बीज ले जाना। रेशमा यह सुनकर अपने पति के पास गई। क्योंकि सरकार मुफ्त में बीज दे रही है। मुफ्त का नाम सुनकर रमेश की आंखों में अलग सी चमक थी।
रमेश सरकारी ठेके में लाइन में सबसे आगे खड़ा था। और बीज लेके घर पहुंचा। रेशमा..2
हां।
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यह देखो बीज वह भी मुफ्त में। रेशमा रमेश की बातें अच्छे से सुनने लगी। रेशमा के मन में एक युक्ति सूजी। अगले दिनरेशमा रमेश के पास आई। और बोली सरकार ने फिर घोषणा की है।
रमेश बोला फिर बीज देंगे।
नहीं बैल देंगे।
इससे तो मेरा काम आधा हो जाएगा बोलो कहां जाना है। लेकिन यह इतना आसान नहीं है।
सरकार की घोषणा है। कि आने वाले 3 महीनों में जो किसान 1 क्विंटल अनाज उपजायेगा जाएगा।
उसे वह बैल मुफ्त में देंगे बोला है। की उसमें 5 क्विंटल अनाज उपजेगा।
जिससे आगे मेहनत करने की जरूरत नहीं बस फिर क्या था। खेत जाकर मेहनत करने लगा। वह दिनभर हल चलाता खेतों को पानी डालता। महीने बाद उसके खेतों में धान के अंकुर फूटे फिर धीरे-धीरे खेत लह लहाने लगा। उसने मेहनत जारी रखी 3 महीने बाद रमेश ने कटाई शुरू की।
उसके खेतों में धान का एक छोटा सा पहाड़ था।
1 क्विंटल से तो ज्यादा ही होगा व्यापारी में रमेश को ₹100000 नकद दे दिए। रमेश की पत्नी देख कर बहुत खुश हुई वह सीधा मंडी गई। और उसने दो बैल खरीद लिए बैल लेकर वह घर आई। मुफ्त में नहीं आप ने क रेशमा है।मैंने आपसे झूठ कहा था। लेकिन मेरी छूट की वजह से आपने मेहनत की, और 3 कुंटल अनाज हुवे। उन 3 क्विंटल से ₹100000 आए उनमें से 10000 में मैंने यह दो बैल खरीदें। रमेश को अपनी आंखों पर यकीन नहीं था। इतने सारे पैसे नहीं देखे थे कभी।
अगले दिन से रमेश अपने बैलों के साथ खेती करने लगा। क्योंकि उसे समझ आ गया था। कि उसकी मेहनत से वह जो चाहे वो पा सकता है।
देखा। आज मैंने उस आलसी भूत को भगाकर आपकी आखरी इच्छा पूरी कर दी।

